जिले के बारे में
देवघर एक हिंदी शब्द है, और इसका अर्थ है वैसा स्थान जहाँ देवता और देवियों का वास होता है. देवघर को बैद्यनाथधाम, बाबाधाम और बी० देवघर के नाम से भी जाना जाता है. बैद्यनाथधाम के उद्भव बहुत स्पष्ट नहीं है फिर भी संस्कृत की रचनायों में इसका उल्लेख हरिताकिवन या केत्किवन के रूप में किया गया है. देवघर शब्द का उद्भव हाल – फिलहाल का है और संभवतः यह भगवान शिव के मंदिर बनने के बाद आया है. हालाँकि मंदिर का निर्माण किसने कराया है, यह पता नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि मंदिर के सामने का कुछ अंश गिधौर महाराजा के पूर्वज पूरनमल के द्वारा वर्ष 1596 में बनवाया गया था. मंदिर के शिखर पर तीन चरणों के आकार का सोने का कलश भी गिधौर महाराजा के द्वारा ही लगवाया गया था, साथ ही, मंदिर पर पंचशुल भी लगा हुआ है. मंदिर के आन्तरिक शिखर पर अष्टदल कमल के रूप का चंद्रकान्ता मणि स्थापित है. मुख्य मंदिर की ऊँचाई 72 फीट है|
देवघर पूर्वी भारत के राज्य झारखण्ड के 24 जिलों में से एक जिला है और देवघर शहर जिले का प्रशाशनिक मुख्यालय है. इस जिले को बाबा बैद्यनाथ के ज्योतिर्लिंगा के कारण भी जाना जाता है. यह जिला संथाल परगना प्रमंडल के अंतर्गत है. तथा संथाल परगना के पश्चिम क्षेत्र में अवश्थित है. इसके उत्तर दिशा में भागलपुर जिला, दक्षिण-पूर्व में दुमका जिला तथा पश्चिम में गिरिडीह जिला है. वर्ष, 2011 के जनगणना के आधार पर देवघर की जनसंख्या लगभग 14,91,879 है. जिसमे लगभग 55% आवादी पुरुषों की तथा लगभग 45% आबादी महिलाओं की है. देवघर की साक्षरता दर 76% है जो राष्ट्रीय औसत दर 59.5% से ज्यादा है. पुरुष साक्षरता दर 82% एवं महिला साक्षरता दर 69% है. देवघर की कुल आबादी का 12% ऐसा है जो 6 वर्ष से कम उम्र का है|
देवघर जिले का क्षेत्रफल 2479 वर्ग किलोमीटर (2,45,156 हेक्टेयर) है. देवघर की संरचना मुख्य रूप से पर्वतीय है, जबकि कुछ स्थानों पर मैदानी भाग भी है. यहाँ की 28% भूमि उर्वरा शक्ति से परिपूर्ण तथा कृषि योग्य है. यहाँ की कृषि प्रायः वर्षा पर निर्भर है, बावजूद इसके यहाँ पैदावार अच्छी होती है|
देवघर एक स्वाश्थ्य रिसोर्ट के साथ-साथ एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल भी है. देवघर देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक तथा 51 शक्ति पीठ में से एक रूप में स्थान रखता है. पुराणों में यह कहा गया है कि अंतिम संस्कार (श्राध्य कर्मा) करने के लिए यह बहुत ही उत्तम स्थान है. यह विश्व प्रसिध्ध श्रावणी मेला, जो हिन्दू कैलंडर का 5वा माह है, के लिए भी विश्व प्रसिध है. पुरे भारत में यही एक ऐसा स्थान है जहाँ ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ साथ-साथ और अगल-बगल में है. भारत के बिभिन्न क्षेत्रो से लगभग 70 से 80 लाख श्रद्धालु प्रति वर्ष श्रावण माह में देवघर से 108 किलोमीटर की दूरी पर बिहार स्थित सुल्तानगंज से पवित्र गंगा जल लेकर बाबा बैद्यनाथ को जलार्पण करने हेतु आते हैं. पर्यटन के दृष्टिकोण से भी देवघर एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थल है|
देवघर का नजदीकी रेलवे स्टेशन बैद्यनाथधाम है, जो दिल्ली-हावड़ा मेन लाइन पर अवस्थित जसीडिह रेलवे स्टेशन से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर है. देवघर से पटना की दूरी 229 किलोमीटर, रांची की दूरी 322 किलोमीटर तथा कोलकाता की दूरी 315 किलोमीटर है. समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 254 मीटर (लगभग 833 फीट) है. देवघर की आवोहवा सूखी है, लेकिन फिर भी यह एक अच्छा हेल्थ रिसोर्ट है. बैद्यनाथ मंदिर होने एवं सिविल कोर्ट तथा बिभिन्न कार्यालय होने के कारण यहाँ बहुत सारे लोगों का आना-जाना लगा रहता है|