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श्रावणी मेला 2025

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श्रावणी मेले का महत्व

श्रावणी मेला भगवान शिव, विशेष रूप से झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग को समर्पित एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह एक महीने तक चलने वाली तीर्थयात्रा है, जिसमें भक्त सुल्तानगंज से मंदिर तक जल लाते हैं, जो भक्ति, तपस्या और शुद्धि का प्रतीक है। कांवर यात्रा के रूप में जानी जाने वाली यह यात्रा एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, और इस अवधि के दौरान मंदिर में लाखों भक्त आते हैं।

धार्मिक महत्व:

श्रावणी मेला भक्तों के लिए भगवान शिव में अपनी आस्था दिखाने और उनका आशीर्वाद लेने का समय है। गंगा (सुल्तानगंज) से पवित्र जल को मंदिर तक ले जाने की क्रिया को स्वयं को शुद्ध करने और भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग को जल अर्पित करने के तरीके के रूप में देखा जाता है।

कांवड़ यात्रा:

कांवड़ यात्रा में भक्त लंबी दूरी तय करते हैं, अक्सर सुल्तानगंज से बाबाधाम तक 109 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, अपने कंधों पर कांवड़ (धातु के बर्तन) में जल लेकर चलते हैं। यह यात्रा उनकी भक्ति का प्रमाण है और इसमें “बोल बम” के नारे भी लगते हैं।

बाबाधाम में मंदिर:

देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, और ज्योतिर्लिंग अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व का स्थान है। भक्तों का मानना ​​है कि ज्योतिर्लिंग पर पवित्र गंगा जल चढ़ाने से आशीर्वाद मिलता है, पाप धुल जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

सांस्कृतिक महत्व:

श्रावणी मेला एक सांस्कृतिक आयोजन भी है, जिसमें उत्सवी माहौल, सामुदायिक समारोह और सामाजिक मेलजोल होता है। यह लोगों के एक साथ आने और अपनी आस्था और विश्वासों को साझा करने का समय है।

लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर:
श्रावणी मेला बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, जिसके लिए सुरक्षा, चिकित्सा सुविधाओं और परिवहन सहित व्यापक लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होती है। देवघर प्रशासन और अन्य हितधारक सभी के लिए एक सुचारू और सुरक्षित तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करते हैं।

 

बैधनाथ मंदिर का महत्व

बाबाधाम का महत्व श्रावण मास में बढ़ जाता है। इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ मंदिर में आते हैं। इनमें से अधिकांश सबसे पहले सुल्तानगंज जाते हैं, जो बाबाधाम से 105 किलोमीटर दूर है। सुल्तानगंज में गंगा उत्तर दिशा में बहती है। यहीं से श्रद्धालु अपने कांवड़ में जल भरते हैं और पवित्र गंगा जल को कंधों पर उठाकर ले जाते हैं। रास्ते में बोल बम का जाप करते हुए वे बाबाधाम स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर तक 109 किलोमीटर पैदल चलते हैं। बाबाधाम पहुंचकर कांवड़िए सबसे पहले शिवगंगा में डुबकी लगाकर खुद को शुद्ध करते हैं और फिर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में प्रवेश करते हैं, जहां ज्योतिर्लिंग पर गंगा जल चढ़ाया जाता है। यह तीर्थयात्रा पूरे श्रावण मास में 30 दिनों तक चलती है। यह दुनिया का सबसे लंबा धार्मिक मेला है। सिर्फ श्रावण मास में ही नहीं बल्कि साल के बाकी दिनों में भी विदेशों से लोग बाबाधाम आते हैं। सुल्तानगंज से बाबाधाम के रास्ते में भगवाधारी तीर्थयात्रियों की 109 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला दिखाई देती है। अनुमान है कि एक महीने की इस अवधि में करीब 50 से 55 लाख तीर्थयात्री बाबाधाम आते हैं। श्रावण की महान तीर्थयात्रा के अलावा, मार्च में शिवरात्रि, जनवरी में बसंत पंचमी, सितंबर में भाद्र पूर्णिमा के साथ लगभग पूरा साल मेला चलता रहता है।

महत्वपूर्ण संपर्क जानकारी
क्रमांक क्षेत्र संपर्क
1 बाबा मंदिर 06432-232680
2 सदर अस्पताल 9263002130
3 देवघर अग्निकांड विभाग 06432-223260
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